कोविड-19 में कर्मचारियों की भूमिका एवं उनका भविष्य




   आज भारतवर्ष के साथ-साथ पूरी दुनिया *covid -19* महामारी की चपेट में है | मानव खतरे में है प्राचीनतम संस्कृति एवं मेल मिलाप वाले देश भारत की भी परिभाषाएं बदल गई है, देश का प्रत्येक नागरिक एवं पूरी मानवता त्राहिमाम कर रही है, लोग अपने अपने घरों में दुबके  हुए हैं | मित्र, नात- रिश्तेदार सभी केवल दूरभाष में ही अपनी संवेदना व्यक्त करना चाहते हैं, लोग भविष्य में सुरक्षित रहने के बाद मिलने की बात कर रहे हैं, लेकिन इन परिस्थितियों में इस देश प्रदेश के कर्मचारी की भूमिका नि:संदेह किसी से छिपी नहीं है समस्त विभाग में कार्यरत कर्मचारी अपने- अपने प्राणों की बाजी लगाकर मानवता की सेवा के लिए अपने- अपने कर्तव्यों के प्रति पूरी निष्ठा से कार्य कर रहा है| घर परिवार और अपने बच्चों के भविष्य की चिंता को छोड़कर अपने कर्तव्यों में लगे हुए इस देश के कर्मचारी को पूरे 60/62 वर्ष में सेवानिवृत्त होने के बावजूद या किसी अनहोनी होने  पर अपने परिवार के भविष्य की चिंता में डाल कर रखना क्या उचित है? यदि नहीं तो कम से कम इन परिस्थितियों के बावजूद इस देश के कर्मचारियों को देश प्रदेश की सरकारें पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने की दिशा में विचार क्यों नहीं कर रही है ? परिस्थितियां यह बयां करती है कि किसी भी देश की आपात परिस्थितियों से निपटने में उस देश के कर्मचारी की अहम भूमिका होती है तब ऐसे में कर्मचारी के हक की चिंता सरकार की प्राथमिकता में होना चाहिए | आप सभी को विदित होगा कि तत्कालीन भारत सरकार ने वर्ष 2004 में एक कानून को पारित करके देश के कर्मचारियों की पुरानी पेंशन व्यवस्था ops को बदलकर के राष्ट्रीय पेंशन योजना nps लागू कर दिया था, जो 1 अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त कर्मचारियों में लागू है | यह योजना कर्मचारियों के भविष्य के साथ घोर अन्याय वाली साबित हुई है पूरे देश का कर्मचारी अपने कर्तव्यों के निर्वहन के बावजूद अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित और निराशा में है |

 देश का कर्मचारी अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहता है, इसका ज्वलंत उदाहरण वर्तमान कोविड-19 की परिस्थितियां बयां कर रही है, परंतु यह भी चाहता है कि उसका भी भविष्य सुरक्षित रहें जिससे वह पूरी ऊर्जा के साथ कार्य कर सकें, इसलिए आज वक्त आ गया है कि कर्मचारियों के प्रति गलत चिंतन करने वाले लोग व सरकारें सकारात्मक सोच के साथ कम से कम उस अधिकार और हक को कर्मचारियों को प्रदान कर दें जो उन्हें वर्ष 2004 के पहले मिलता आ रहा था | यहां पर कर्मचारियों की मुख्य मांग  व समस्या पुरानी पेंशन है प्रत्येक विभाग का कर्मचारी इस नई पेंशन व्यवस्था NPS की जगह पुरानी पेंशन OPS व्यवस्था चाहता है, जो  पूर्णत: जायज है |

 लेखक-

 गणेश प्रसाद तिवारी 


जिला अध्यक्ष रीवा, राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन मध्य प्रदेश NMOPS

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नवगठित जिला कार्यकारिणी NMOPS-REWA की सूची

प्रेस विज्ञप्ति रीवा दिनांक 20 जुलाई 2020

अब 22 जुलाई 2020 को होगा ज्ञापन कार्यक्रम