अब 22 जुलाई 2020 को होगा ज्ञापन कार्यक्रम


 रीवा दिनांक 21 जुलाई 2020 
       राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन के तत्वावधान में 21 जुलाई 2020 को प्रदेश के समस्त जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन देने एवं समर्थन पत्र लेने का कार्यक्रम निश्चित किया गया था, परंतु दुर्भाग्यवश महामहिम राज्यपाल लालजी टंडन महोदय का आकस्मिक निधन होने से यह कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है| उक्त जानकारी राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन के  जिला अध्यक्ष रीवा  गणेश प्रसाद तिवारी ने दी |

    श्री तिवारी ने महामहिम राज्यपाल के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए  एनएमओपीएस टीम रीवा के तरफ से सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित किया है | आगे श्री तिवारी ने कहा की प्रांतीय अध्यक्ष आदरणीय  परमानंद डेहरिया जी द्वारा जनप्रतिनिधियों के ज्ञापन कार्यक्रम को 21 जुलाई की जगह 22 जुलाई 2020 कर दिया गया है अत: समस्त विभागों के एनपीएस धारी कर्मचारियों से आग्रह है कि  21 जुलाई का कार्यक्रम  यथावत  22 जुलाई को संपादित करावे एवं कोरोना नियमों का पालन करते हुए पूरी सावधानी के साथ कम से कम संख्या का प्रतिनिधिमंडल लेकर के जनप्रतिनिधियों से मिले |  आगे श्री तिवारी ने बताया कि वर्ष 2005 के बाद तत्कालीन  माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा समस्त विभागों में पुरानी पेंशन की जगह न्यू पेंशन स्कीम एनपीएस लागू कर दिया गया था इस योजना के अंतर्गत कर्मचारियों का पैसा एनएसडीएल के पास जाता है एवं सेवानिवृत्त होने पर 60% राशि एकमुश्त प्रदान की जाती है एवं 40% राशि पर पेंशन निर्धारण होता है जो पुरानी पेंशन की अपेक्षाकृत बहुत कम बनता है जिसमें कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित नहीं है एवं बुढ़ापे की चिंता लाजिमी है इस कारण से मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि समूचे भारत में विभिन्न विभागों के कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम की जगह पुरानी पेंशन लागू करने की मांग कर रहे हैं आगे श्री तिवारी ने कहा कि मैं आशा नहीं पूर्ण विश्वास करता हूं कि इस तरह की सांकेतिक आंदोलन से सरकार समझ जाएगी और कर्मचारी हित में पुरानी पेंशन बहाल कर दी जाएगी यदि ऐसा नहीं हुआ तो NMOPS इस आंदोलन को लोकतांत्रिक तरीके से समय अनुकूल आने पर वृहद रूप देगा |ऐसा ना हो इसलिए प्रदेश के समस्त जनप्रतिनिधियों को इसके पक्ष में समर्थन पत्र  लिया जा रहा है एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जा रहा है | श्री तिवारी ने कहा कि कर्मचारी भी इस देश के नागरिक हैं और कोरोना जैसी महामारी पर भी पूर्ण निष्ठा के साथ अपनी सेवाएं बढ़-चढ़कर के दे रहे हैं ऐसे में उनके भविष्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की होती है, ऐसा ना करना कर्मचारियों के साथ नाइंसाफी है, इसलिए सरकार इसे अतिशीघ्र लागू करें|

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